सं.पु.
1.प्रहार।
- उदा.--1..दुवै असि आप चढ़ै दुझाळ, निजां असि चाढ़वियौ नंदलाल। बिहूं झलिया झड़ंता खग बूर, 'पिथा' हर सूर दता व्रद पूर।
- उदा.--2..पिये भर रत्तर पत्तर पूर, बगत्तर टोप उडै खग बूर। कटै तन सूर हटे नह का्रेध, जुटै भड़ लोक पटैतिय जोध।--पे.रू.
2.शस्त्र प्रहारों की बोछार, बौछार।
- उदा.--1..उड़ै लोहां बूर भल, सूर न जाय सरक्क। चढ़ै गजां दांतूसळां, रण रीझवै अरक्क।--बां.दा.
- उदा.--2..ऊभै हजार हूंत आभड़ियौ, बरमां उडै सांबळां बूर। बीता बिहूं नेस तायि बीजळ, सूर पडे नह हाले सूर।--जगतसिंध सगतावत सिसोदिया रौ गीत
- उदा.--3..तिण वार गुलालां मूठ तीर, उड़ धार बूर खागां अबीर। पड़िया करधारां जहर पाय, इंद्र रा बज्र काड़ेके आय।--विड़द सिंणगार
- उदा.--4..धीर पांमे नही तेग ऊंची धरै, कने धमरोळिया मीर तोबा करै। तूर जांगी घूर बोम लागा तरै, ऊडिया बूर 'खंगार' सिर ऊपरै।--करमसिंह सक्तावत रौ गीत
3.समूह।
- उदा.--समोभ्रम 'वीठळ' 'केहर' सूर, बंगाळक खाग उडै धण बूर। धमोड़त सेल उझेल दुधार, समोभ्रम 'रूप' भिड़ै 'सरदार'।
4.एक विशेष प्रकार की घास जिसको गाय, भैंस आदि पशुओं को खिलाने पर उनके दूध की वृद्धि होती है।
5.एक प्रकार का बुहत अधिक जड़ों वाला घास जो सुगंधित होता है। इसके झाडू भी बनते हैं। (फा.)
7.देखो 'बूरौ' (मह., रू.भे.)
- उदा.--जीमाऊं बाई थांनै बूर जी भात, थारे बीरां री पांत जिमायस्यां।--लो.गी.