सं.पु.
1.पुत्री, कन्या, वत्सा।
- उदा.--1..दीरघ नेसां री छांणां तप देती, लांबां केसां री दांणा लप लेती। वेगी छेटी बिन भेटी भुज भारी, पातळ पेटी निज बेटी सम प्यारी।--ऊ.का.
- उदा.--2..मेरे गोपाळजी कूं रोटी बनाया देऊं, एक छोटी दूजी मोटी मेरे गोपाळजी का ब्याह करूंगी, बिरखभांन की बेटी।--मीरां
- मुहावरा--1.बेटी देणी=किसी परिवार में अपनी पुत्र का विवाह करना।
- मुहावरा--2.बेटी रा हाथ पीळा करणा=अपनी पुत्र की व्याह कर देना, बेटी के हाथों में मेंहदी लगाना।
- मुहावरा--3.बेटी रौ ब्याह बीगड़णौ=पुत्री के विवाह में विघ्न पड़ना, कोई काम बिगड़ना।
2.पुत्री के समान कोई लड़की, कन्या।
- उदा.--भांणजी री आटी गूंथतां मासी पूछ्यौ--म्हैं थने साव मामूळी सी बात पूछूं, जिण रौ जवाब दीजै बेटी, के जद अपां रौ जलम संजोग सूं व्है तौ पछै उणरी नीव माथै चिणियोड़ौ जीवण कीकर संजोग बिना आपरौ गुजारौ कर सकै।--फुलवाड़ी
3.किसी लड़की या बच्ची के लिये प्यार भरा सम्बोधन।