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बेलदार     (स्त्रीलिंग--बेलदारण बेलदारी)  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
सं.वेल्लि+फा.दार
1.जिस पर बेल--बूंटें, लताएं आदि बनी हुई हो। (पत्थर आदि)
2.लताओं से युक्त। (स्थान) (फा.बेल=फावड़ा+दार)
2.फावड़ा या कुदाली रखने वाला। सं.पु.(फा.) (स्त्री.बेलदारण बेलदारी)
1.जमीन खोदने व पत्थर तोड़ने का काम करने वाली एक जाति व इस जाति का व्यक्ति। (मा.म.)
रू.भे.
बैलदार।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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