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बेसुध  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
फा.बे+राज.सुध
1.जिसको कोई सुध या होश न हो, बेहोश, अचेत, मुछित।
  • उदा.--पछै बे परणीजण आया, सु जीमण मांहै दारू में धतूरौ घातनै पायौ सू सारा बेसुध किया। पछै हेठा पड़िया तरै कूट मारिया।--नैणसी
2.जिसके होश--हवास ठिकाने न हो, बद--हवास, घबराया हुआ।
3.किंकर्त्तव्यविमूढ़, मूढ़मति, मंतिभ्रम।
रू.भे.
बिसुध, बेसुद्धि, बिसुधी।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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