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बैठक  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.वेशन, विष्ठ, प्रा.--बिट्ठ
1.बैठने की क्रिया याढंग।
2.बैठने की जगह या स्थान।
3.घर का या मकान का वह कक्ष जिसमें आगंतुकों को बैठाया जाता है।
4.गांव या मोहल्ले का वह स्थान जहां पर लोग गप-शप करने के लिये एकत्र होते हैं, चौपाल, अथाई, हथाई (बीकानेर), फरस (हरियाणा)।
5.दरबार में बैठने का प्रतिष्ठित स्थान।
  • उदा.--बैठक ताजीम गांम गज बगसे, किव रो मोटौ तोल कियौ। बड दातार हमैं 'बारू' नै, दै इतरौ बारठौ दियौ।--बारूजी सोदा बारहठ
6.मवेशियों के रात्री में बैठने का स्थान।
7.व्याणयाम या कसरत की एक क्रिया या ढंग।
8.करघे का वह स्थान जहां कपड़ा बुनते समय जुलाहा बैठता है।
9.वह वस्तु जिस पर बैठा जाय, आसन, पीढ़ा।
10.किसी मूर्ति या खम्भे के नीचे की चौकी, आधार, जमाव।
11.सभा, अधिवेशन, मीटिंग।
12.शरीर का वह अवयव या हिस्सा जो बैठते समय जमीन पर टिकता है। गुदा और अण्डकोच के बीच का स्थान।
13.गुदा।
14.साथ उठने बैठने की क्रिया, संगति।
रू.भे.
बइट्ठक, बइठक, बेठक।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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