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बोहत  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
देखो 'बहुत' (रू.भे.)
  • उदा.--1..राज! ऐ बैर बोहत फूटरी छै पदमणी छै। ताहरां आदमी मेलियौ। खबर कराई।--नैणसी
  • उदा.--2..तद कंवरसी फूलमती नां देख आधौ महल मांहै आयौ। देखै तौ कासूं, बहुत सुदंर। कुवर रौ मन ईयै मों लागौ अर फूलमती कुंवर नूं देख बोहत राजी हुई।--चौबोली
  • उदा.--3..पीछै फौज जेसळमेर जाय लागी। सैहर तमांम लूंट्‌यौ गयौ। अरु बोहत सौ माल हाथ आयौ।--द.दा.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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