सं.स्त्री.
सं.वडवा
1.घोड़ी।
- उदा.--हाथ कढ़तां ही न्रिदा निवारि सस्त्रादिक संगर री सांमग्री में सज्जी होइ, उणी समय 'सळखाउत वीरमदेव' समाधि बड़वा री पीठ आयौ।--वं.भा.
2.वंशावली लिखने वाले भाटों की एक शाखा।
4.अश्विनी नामक अप्सरा जो घोड़ी का रूप धरकर सूर्य की स्त्री हो गई। इससे उत्पन्न दो पुत्र अश्विनी कुमार के नाम से प्रसिद्ध हैं।