सं.स्त्री.
सं.
1.तरीका, ढंग।
- उदा.--1..आकुली कुलवट लोपिय गोपिय रमइ रंगि, कांस केसि चांणूर ए चूरए जे बहु भंगि।--जयशेखर सूरि
- उदा.--2..गुरि वीनविउ अवसरि राउ 'सविहुं बेठां करउ पसाउ। तुम्हि मंडावउ नवउ अखाडउ नव नव भंगि पूत्र रमाडउ'।--पं.पं.च.
2.शरीर के अंगों की ऐसी विशिष्ट मुद्रा या संचालन जो किसी प्रकार के मनोभाव का सूचक होती है।