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भचीड़  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
अनु.
1.आघात, प्रहार।
  • उदा.--1. आ कैय वा बीजळी री गळाई सळावा भरती भच उठा सूं ताचकी सौ मोगरी हाथ में आवतां ई आवेस पूरा जोर सूं आगळ रै दोनू कांनी भचीड़।--फुलवाड़ी
  • उदा.--2. सरमा सरम दुख सांसै, पिंड सुजाग सहावै पीड़। खागां जंग भचीड़ न खावै, भोग तणै वस खाय भचीड़।--कविराजा बांकीदास
2.आघात, प्रहार या टक्कर की ध्वनि।
3.टक्कर, धुक्का।
4.दु:ख, कष्ट।
  • उदा.--सरमा सरम मरै दुख सांसै, पिंड सुजाग सहावै पीड़। खागां जंग भचीड़ न खावै, भोग तणै वस खाय भचीड़।--बां.दा.
5.दर्द, चीस, टीस।
6.भटकने की क्रिया या भाव।
7.हांनि, नुकसान। क्रि.प्र.--खाणौ।
अल्पा.
भचीड़ौ।
रू.भे.
भचड़, भचेड़, भचेड़ण।
क्रि.प्र.--उडणौ, मेलणौ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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