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भत
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
1.देखो 'भांत' (रू.भे.)
उदा.--
1..--भूपाळ विया सेवाळ तणी भत, कळिया सह संसार कहै। माया जाळ कळू चै मांहै, राजा कमळ सरूप रहै।--जगन्नाथ सांदू
उदा.--
2..गहमत गत असत अवर तत परगत, अखत दुचित रत भरथ अत। जगपत हित मुखदुति इण
भत
जिम, प्रभुत हुवत दिन रयणपत।--र.रू.
2.देखो 'भात' (रू.भे.)
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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