सं.पु.
1.उत्तरादायित्व, जिम्मेदारी।
- उदा.--1..रचे एम मचकूर, फुजा आपणां दिली भर। जिसौईज करि जबत, करां सोवा सर पद्धर।
- उदा.--2..देवराज गोगा दया, पातां रुपां पांण। जूंझ तणा भर झल्लिया, उर सूरां धर्म आंण।--रा.रू.
2.किसी वस्तु के संग्रह हेतु बर्तनों को भर लेने का कार्य।
3.भरने की अवस्था या भाव, भराव।
- उदा.--घमंख पखरांण नीसांण वज घूमरां, परी थाक थकत होय पड़ै भ्रग पास। तरां जड़ ऊपड़ै भरां सूकै तरंग, उरंग रस रंग चडै कुरंग अकळास।--गु.रू.बं.
4.भार, बौझ, वजन।
- उदा.--1..कण एक लिया किया एक कण कण, भर खंचे भंजियौ भिड़। बळभद्र खळै खळां सिर बैठी, चारौ पळ ग्रीधणी चिड़।--वेलि.
- उदा.--2..भरिया तरु पुहप वहे छूटा भर, कांम बांण ग्रहिया करगि। वळि रितुराइ पसाइ वेसन्नर, जण भुरड़ीतौ रहै जणि।--वेलि.
5.भरे हुए होने की अवस्था या भाव, पूर्णता, यथेष्टता।
- उदा.--दिन दस वीतां देसनूं, कूच कियौ कमधज्जा। महपति आयौ मेड़तै, भर वरखा धर भुज्जा।--रा.रू.
सं.स्त्री.
7.तिल की फसल को खेत में एक विशिष्ट तरीके से एकत्र करने की क्रिया।
8.मिट्टी या बालू रेत का बहुत ऊंचा और लंबायमान टीला।
2.पूर्णता प्राप्त, पूर्ण। ज्यूं--भरजोवन, भर जवानी।
- उदा.--भरजोवण ज्युं ही नेत्र छव भरिया, जोत कळा जोवतां जुई। बारें दीहे बरस बारा री, हेमाचळ री कुवरि हुई।--महादेव पारवती री वेलि
अव्यय
1 तक, पर्यन्त। ज्यूं--कोस भर चाल्या हा।
- उदा.--काळ लंकाळ करठाळ जड़ियौ कमंध, वहै विकराळ रगताळ वांई। भेद छकडाळ चगताळ चूनाळ भिद, ताळ गौ झाळ भर घरण तांई।--गु.रू.बं.
2.वय, अवकाश, परिणाम आदि की संपूर्णता या पूर्णता किसी इकाई के रूप में सूचित करते हुण। ज्यूं--गजभर, दिन भर, जीवनभर।
- उदा.--रुद्र--घरणी जंपै, सांभळि रुद्र, आज लगै तै लिया अनेक। जैसिंघ धूय तणौ धू जौतां, उमर भर मो जुड़ियौ अेक।
3.अच्छी तरह से, भली प्रकार से।
- उदा.--छोरां नै एक बार आंख भर देख लेती तो ठीक रै'ती।
4.के, द्वारा या सहायता से।