सं.पु.
सं.
1.गृह, मकान। (ह.नां.मा.)
- उदा.--लालच री दौड़ै लहर, भवन बियां धन भाळ। बैठी थावर बारमौं, कांधै आंग कराळ।--बां.दा.
2.महल, प्रासाद।
- उदा.--किण संग खेलूं होली, पिया तज गये हैं अकेली। मांणिक मोती सब हम छोडे, गाळ में पहनी सेली। भोजन भवन भलौ नहिं लागै, पिया कारण भई गैली, मोहे दूरी क्यूं मेली।--मीरां
7.ज्योतिष के अनुसार जन्म कुण्डली के
12.लग्नों में से एक।
- उदा.--दसरथ 'अजन' घरे सुखदाई, रूप 'अभौ' प्रगट्यो रघुराई। दाखै विप्र नवै ग्रह देखो, परम गुणै प्रत भवन संपेखौ।--रा.रू.
रू.भे.
भबण, भमण, भमणि, भवण, भुवण, भौयण।
8.देखो 'भुवन' (रू.भे.)
- उदा.--1..तीन भवन मां ताहरौ रे, झलकइ निरमल तेज। सूरति देखी ताहरी वाल्हा, हसता आवै हेज।--विनय कुमार कृत कुसुमांजलि
- उदा.--2..पराव्रह्म सतगुरु प्रणम्य, पुन्य सब संत नमौ। हरिरांम मुर भवन में या पद समौ न को।--स्त्री हरिरांमदासजी महाराज