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भवर
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
1.देखो 'भंवर' (रू.भे.)
उदा.--
2..म्हारै मन वसियौ
भवर
, उर रसियौ रजवार। मो सूगणी रौ साहिबै, नीला को अवसर।--पनां.
2.देखो 'भ्रमर' (रू.भे.)
उदा.--
1..देखण नुं चढण ईस ताइ दीसइ, जाळानळ मथ काढी ज्याग। मुख ताइ कवळ गउख सर माहे, लोचन
भवर
रह्या तनु लागा।--महादेव पारवती री वेलि
उदा.--
2..मेटिया कइक पीळा पमंग, सोनैर कइक धूसर सुरंग। अणथाग बेग केई
भवर
अंग, रेसमी पोत किरमची रंग।--पे.रू.
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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