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भांति  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
1.प्रकार, तरह।
  • उदा.--1..आगळै प्रिया प्री चौथे आरंभि, फेरा त्रिण्हि इण भांति फिरि। कर सांगुस्ट ग्रहण कर सं करि, करी कमळ चपियौ किरी।--बेलि
  • उदा.--2..इसी तरह लिछमीजी भांति-भांति करि अरज स्त्री भगवांन नै कीवी। अठै राजा व्रहदभांण हजार बीस ब्राह्मण नै भोजतन, गायां हजार दोय, हाथी, घोड़ां रौ संकळप भरियौ।--पलक दरियाव री बात
2.चाल-ढाल, रंग-ढ़ंग।
3.आचार, व्यवहार की मर्यादा।
4.प्रथा, रीति।
रू.भे.
भंत, भंति, भंती, भत, भति, भती, भत्त, भत्ति, भत्ती, भांत, भांतर।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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