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भिंडी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.भिंड
1.एक प्रकार का पौधा व उसकी फली जिसकी तरकारी बनती है।
2.छोटे-छोटे गाय।
3.सीधी-साधी गाय।
4.छत के ऊपर चारों ओर बनाई जाने वाली छोटी दीवार।
5.कच्चे मकान के अहाते की दिवार को बरसात के पानी से बचाने के लिए उस पर जमाई हुई मिट्टी घास-फूस आदि का आवरण।
रू.भे.
बरंडी, बिंउी, बिरंडी, भींडी, वरंडी, विरंडी।
अल्पा.
भींडली।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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