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भुइ
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
1.देखो 'भूमि' (रू.भे.)
उदा.--
1. खडा-खड झाट झडा-झड खग्ग, पडै निरलंग नरां सिर पग्ग। झड़ां करि-माळ रिखग्ग झडंत, पडै
भुइ
घाउ निहाउ पडंत।--गु.रू.बं.
उदा.--
2..दुस्सासण जिकै जिसा दुरजोधन, रिख असथांमा द्रोण रिखं। भारथ
भुइ
जिकै कदै नह भाजै, परदळ भंजण पांचमुखं।--गु.रू.बं.
2.देखो 'भांय' (रू.भे.)
उदा.--
आडा डूंगर,
भुइ
घणी सजजण रही विदेस। मांगी तांगी इ पंखुड़ी, केती वार लहेस।--ढो.मा.
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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