सं.पु.
सं.भेद:
1.भेदने या छेदने की क्रिया या भाव, छेदन, वेधन।
5.गुप्त बात।
- उदा.--1..दे दे दरसण दौड़, भेद घर रौ लै भारी, दे दे दरसण दौड़, निलज भागै लै नारी।--ऊ.का.
- उदा.--2..'केहर' सांम धरम पण कीधौ, दियौ जीव पण भेद न दीधौ। बोल बोल वधंती बाजी, राव हुवौ उर 'इंदर' राजी।--रा.रू.
- उदा.--3..सेवट खपतां खपतां मंत्री रौ बेटौ राजकंवर सूं भेद री साची बात जांणी।--फुलवाड़ी
- उदा.--4..खवासजी पूरी बताई जित्तै जित्तै बादळ आपरा मन में सै जुगत विचारली। पै'ली बतायां बात रौ सगळौ मठ मर जावै, इण वास्तै किणी नै कीं भेद नीं दियौ।--फुलवाड़ी
- मुहावरा--1.भेद खोलणौ=गुप्त बात प्रकट कर देना।
- मुहावरा--2.भेद देणौ=गुप्त बात प्रकट कर देना।
- मुहावरा--3.भेद पाणौ=गुप्त बात जान लेना।
- मुहावरा--4.भेद बताणौ= गुप्त बात बता देना, गुप्त प्रकट कर देना।
- मुहावरा--5.भेद मिळणौ=गुप्त बात का पता लगना।
- मुहावरा--6.भेद लैणौ=गुप्त बात का पता लगाना।
3.छिपा हुआ वह रहस्य या तत्त्व जिसे साधारण बुद्धि से न जाना जा सके, मर्म।
- उदा.--1..अग्र देखइ इक चिटील उघाडी, विध आखइ तउ कहतउ वेद। माता नमौ तुम्हारी महिमा, भूलउ तउ व्रह्मादि (क) भेद।--महादेव पारवती री वेलि
- उदा.--2..तासों पीर कहूं तन केरी, फिर नहिं भरमौ खांनी। खोजत फिरूं भेद वा घर कौ, कोई न करत बखांनी।--मीरां
- उदा.--3..बडा तत तूझ लहै न विचार पुरंदर तूझ न जांणै पार। भला मुनि आदि न जांणै भेद, बिरंचिय तूझ न जांणै बेद।--ह.र.
4.तात्पर्य, गूढार्थ।
- उदा.--1..लागूं हूं पहली लुळे, पीतांबर गुर पाय। भेद महारस भागवत, प्रांमू जास पसाय।--ह.र.
5.अन्तर, फर्क।
- उदा.--1..हंसा बगला हाल सूं, जिम अंतरौ जणाय। कवत सुकवियां कुकवियां, भेद प्रगट हण भाय।--बां.दा.
- उदा.--2..उण दिन रा तमासा अर आज रा तमासा में थांनै कीं भेद निगै आवै।--फुलवाड़ी
6.मतमतान्तर।
- उदा.--हुए हिंदु बळ हीण धरा पण खीण सुरां ध्रम। मिटै वेद मरजाद, भेद गुण आद पड़ै भ्रम।--रा.रू.
11.प्राचीन राजनीति में शत्रु के मित्रों में परस्पर झगड़ा उत्पन्न कर दिया जाता है।
- उदा.--इणनै तौ भेद सूं काबू करणौ पड़सी। सूर वीर नै भेद पाड़नै पराजित कराणौ--आ बडेरां री सीख है।--फुलवाड़ी
रू.भे.
भिदि, भेउ, भेदि, भेव।