सं.पु.
1.तरबूज, मतीरा। (सं.भेर:)
2.एक प्रकार का वाद्य, जो भेरी नामक वाद्य से आकार-प्रकार में भिन्न होता है।
- उदा.--रोड़ि द्रुमति ढ़ोल रवद, सहनाई भेर सद्द, निफेरी भेरी निनद, नीसांण धुबे। पंचसद दमांम पूर, रुडै डूंड रिणतूर, प्रमांणै मेघ पडूर (पडर), हैरसांन हुवै।--गु.रू.बं.
2.और।
- उदा.--कदंच जो कहां समंद री सींप तिका पण न फबै इण रै समीप। भेर जो मीढ़ां छोटी सी मीन, तिका तौ लाजां मरती हुई जळ में लीन।--र.हमीर
3.देखो 'भेरी' (मह., रू.भे.)
- उदा.--हुई पहिरावणी हरखी राई, अंचल बंधी राजकुमार। चौरी चढियौ भोज की, बाजइ बरगूं भूगळ भेर।--वी.दे.