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भ्रमण  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.भ्रमणां
1.घूमना--फिरना, विचरण।
  • उदा.--थोड़ा दिन बीतियां सेखर आइयौ, सो किण ही वीं री बात नहीं बूझी। जद फेर यीै भ्रमण नू वन मांही नीसरि गयौ।--सिघासण बत्तीसी
2.यात्रा, सफर।
3.चक्कर, फेरी।
  • उदा.--सिसमार चक्र ध्रुव विण सु तौ, भजै न कुण रिसि गण भ्रमण। अंगमै साह 'अवरंग' सूं, कमंधां विण चाळौ कवण।--रा.रू.
4.आना--जाना, आवागमन।
5.धोख, भूल।
6.भ्रम, भ्रांति।
रू.भे.
भमण, भरमण, भवण।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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