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मंच, मंचक  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.मञ्च
1.वह ऊंचा बना स्थान या तख्त जिस पर बैठकर जन--समुदाय के सामने कोई कार्यकिया जाय अथवा उपदेश या व्याख्यान दिया जाय, स्टेज, चौकी।
2.खेत की रखवाली या शिकार करने के लिए बनाया गया ऊंचा मचान।
3.पलंग, खाट।
  • उदा.--1..वप पूरै वरैजी आतुर बांण दससिर आय। आपौ आपरै जी बैठा कनक मंच बिछाय।--र.रू.
  • उदा.--2..अर महीप भी आपरी माळा नूं पर ही मेलि एक दिसा रौ मारग लियौ।--वं.भा.
रू.भे.
मांचइ, मांचउ।
अल्पा.
मांची।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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