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मंड
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.आभूषण, गहना।
उदा.--
चांपावत चंड बळबंड रखपाळ। मुरधर के
मंड
, सिंभू कोप रिणताळ।--रा.रू.
2.रचना, सृष्टि।
उदा.--
1..आदूं खट रस ऊपरां, मांडी नवरस
मंड
। कुकवि कहै विध सूं कियौ, आचारजां अफंड।--बां.दा.
उदा.--
2..अधिकारी गीतां अवस, चारण सुकवि प्रचंड। कोड प्रकारां गीत की, मुरधर भाखा मंड।--र.ज.प्र.
3.ब्रह्माण्ड।
उदा.--
चमू काळ बळ चंड, ज्वाळ किर
मंड
जळायण। सरस कोप किर सिंभु महा.दिख दंभ मिटावण।--रा.रू.
4.शरीर, देह। (अ.मा.)
5.निर्भरता।
उदा.--
जोधपुर रिणमलां माथै
मंड
त्यूं जेसलमेर कालण रा परवार ऊपर सारी साहिबी री मदार।--नैणसी
6.देखो 'मंडप' (रू.भे.)
उदा.--
मांडौ जिग
मंड
प्रधान सुमित्र।--रांमरासौ
7.देखो 'मंडांण' (रू.भे.)
8.देखो 'मांडौ' (रू.भे.)
9.देखो 'माडांणी' (रू.भे.)
उदा.--
वनि वनि विकसइं वेउळ, खेउ लगाडइं चीति। दीठा द्राखह मंडव
मंड
बधारइं प्रीति।--जयसेखर सूरि
10.देखो 'मंढ' (रू.भे.)
उदा.--
मंड
में काळी माता जागिया, पुरी में जगन्नाथ बाबो जागिया, बंगळै में हणमांन बाबो जागिया, परीडै पितर देवता जागिया, मदिर में सती माता जागिया,
मंड
में भैरू बाबौ जागिया।--लो.गी.
11.देखो 'मुड' (रू.भे.) (अ.मा.)
उदा.--
घण मेळै घमसांण, राखस आहेडौ रमण। चंड
मंड
बे भ्राता चढ़ै, प्राजळिता निज प्रांण।--मा.वचनिका
उदा.--
2..तौ चंड
मंड
राजि भारत ने चाढ़ीजै। कलहांगारी रा हाथ देखीजै दिखाइजै।--मा.वचनिका
12.देखो 'मांड' (रू.भे.) सं.स्त्री.--पानी पीने या भारने के लिये किसी कुएं या तालाब पर जाने या जाकर एकत्र होने की क्रिया या भाव।
उदा.--
कुवा रुखी वाय एक चहुवांण तेजसी री कराई छै, तिण रौ खारौ पाणी। घणी सहर री
मंड
उण ऊपर छै।--नैणसी
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
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