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मंडुक, मंडूक     (स्त्रीलिंग--मंडुकी)  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.मंडुक:
1.एक प्रसिद्ध छोटा जलचर जीव मेंढ़क, दादुर।
  • उदा.--चतुर पुरुष वातक तणी सखि मिटेई तरस तुरंत। हरि हर रूप नक्षत्र नउ सखि नाठउ तेज नितंतरे। थयउ दुरित जवासक अंतरे मुनिवर मंडुक हरखंत रे। जिहां विजयमांन भगवंत रे विकसित त्रय भुवन वनंत रे।--विनय कुमार कृत कुसुमांजलि
2.एक प्राचीन ऋषि।
3.दोहा नामक छन्द का पांचवां भेद जिसमें 28 गुरु और 12 लघु वर्ण सहित 48 मात्रायों होती है।
4.रुद्रताल के बारह भेदों में से एक। (संगीत)
5.एक प्रकार का वाद्य विशेष। (प्राचीन)
6.एक प्रकार का नृत्य।
7.घोड़ो की एक जाति विशेष या इस जाति का घोड़ा। (शा.हो.)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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