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मंदाकण, मंदाकणी, मंदाकिनी, मंदाकिण, मंदाकिणी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
देखो 'मंदाकिनी' (रू.भे.) (अ.मा., डिं.को., ह.नां.मा.)
  • उदा.--1..झूलां मखतूल जमाजळ झाग, पग पग होत उद्योत प्रयाग, मंदाकण मांण नंदा बह मद, बहै सुरसत्ति प्रवावह बलंद।--मे.म.
  • उदा.--2..उदर भरै पीधौ उदक, मंदाकणी मंझार। तिकां उदर त्रिभुअण तणौ, भरण लियां भुजभार।--बां.दा.
  • उदा.--3..नारायण पग नीर, मांनूं किन मंदाकनी। सांपड़ जेथ सरीर, हर को नारायण हुए।--बां.दा.
  • उदा.--4..जिण पय मंदाकिण जनम, अघनासणी अपार, जिण भजतां अधजाण रौ, विसमय किसूं विचार।--र.ज.प्र.

मंदाकिनी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.
1.पुराणानुसार गंगा की वह धारा जो स्वर्ग में बहती है और जो एक अयुत यौजन लम्बी है।
2.गंगा का नामान्तर।
3.आकाश गंगा।
4.चित्रकूट के पास बहने वाली एक नदी का नाम।
5.सात प्रकार की संक्रान्तियों में एक।
6.प्रत्येक चरण में क्रमश: दो दो नगण।।। और दो दो रग ऽ।ऽ का एक विणक छन्द विशेष। (पि.प्र.)
7.पुलत्स्यपुत्र विश्रवस्‌ नामक ऋषि की दो पत्नियों में से एक। भगवान शंकर के प्रसाद से इसे कुबेर नामक पुत्र उत्पन्न हुआ।
रू.भे.
मंदाइण, मंदाकण, मंदाकणी, मंदाकनी, मंदाकिण, मंदाकिणी, मंदाकिणी, मंदागनी, मंदागिणी, मंदायण, मंदायणी, मंदायिणी।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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