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मई
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
विनीत, नम्र स्वभाव वाला। सं.पु.--अंगे्रजी वर्ष का पाचवां महीना। क्रि.वि.--में।
उदा.--
भलौ भलौ सारौ जग भाखै, कही न लाई वात कई। मागज घरां वधावण मोटां, मोटी पाध संसार
मई
।--द.दा.
1.देखो 'मय' (रू.भे.)
उदा.--
1..सब ही कथा मालम सखी, लधराज कही बुधराज लखी। लख औज तणा गुण अंग लई, मुणिया सब छंद प्रसाद
मई
।--पा.प्र.
उदा.--
2..सिय सोहै अंग बांम हे, हे म्हारी सखी। हे सहेली! सिय सोहै अंग बांम हे। जगदंबा महिमा
मई
।--गी.रां.
2.देखो 'महीन' (रू.भे.)
3.देखो 'मही' (रू.भे.)
रू.भे.
मइं।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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