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मगज  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
अ.मग्ज
मस्तिष्क, दिमाग।
  • उदा.--ऊंडा वेरा सूं चिड़ी नै काढ़ै तौ कीकर काढ़ै कांई जुगत बिठावै। कीं मगज में बैठी नीं।--फुलवाड़ी
  • मुहावरा--1.मगज खपाणौ=किसी समस्या के हल के लिए दिमागी जोर लगाना। बहुत अधिक सोचना।
  • मुहावरा--2.मगज खाणौ=व्यर्थ की बकझक कर किसी को परेशान करना।
  • मुहावरा--3.मगज खाली करणौ= व्यर्थ की बकझक कर अपने दिमाग को परेशान करना या मस्तिष्क थकाना।
  • मुहावरा--4.मगज चाटणौ=देखो 'मगज खाणौ'।
  • मुहावरा--5.मगज पचाणौ=व्यर्थ की सिर पच्ची करना।
  • मुहावरा--6.मगज फिरणौ=मानसिक संतुलन बिगड़ना, पागलपन का असर होना।
  • मुहावरा--7.मगज भरणौ=किसी को बहकाना, गुमराह करना।
  • मुहावरा--8.मगज मारणौ=देखो 'मगजपचाणौ'।
2.फल आदि के अन्दर का गूदा, कगरि।
3.गर्व, अभिमान।
  • उदा.--1..साह मिळै निज मगज सवायौ। 'अजन' विदा हुय डेरां आयौ। दोनूं राह गात छत देखै। लखि गति सकळ सिरै दुति लेखै।--रा.रू.
  • उदा.--2..मिणडर विख अण माव, मोटा नह धारै मगज। वीछू पूंछ वणाव, राखै सिर पर राजिया।--कृपाराम बारहठ (खिड़िया)
4.रौब, दबदबा।
5.देखो 'मगद' (रू.भे.)
  • उदा.--जद तेली री बेटी नूं भीतर बुलाय एक आछौ बेस आदा मण मगज खाजा रुपिया गहणै रा और उण तेली नूं सिर पाव दियौ।--ठाकुर जेतसिंह री वारता
रू.भे.
मग्गज।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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