सं.स्त्री.
अ.मग्ज+रा.प्र.ई
1.गर्व, अभिमान।
- उदा.--1..तुटै कळा छूटै ठौड़ री खंचांणी तोपां, लाखां हाडा गोड़ री कुरम्भां आडी लीक। जोड रा ठिकाणा धणां मगजी मेल दी जठै, तठै रही रौठौड़ री हेक चोक--तीक।--नवळजी लाळस
- उदा.--2..रायसींग जैमींग सूं मिळतौ मगजी राखै। दाखै दवागीरां हूंता नरमी दैसोत।--रायसींग रौ गीत
2.किसी वस्त्र में सिलाई के साथ निकाली गई किनारी। क्रि.प्र.--कढ़ाणी, घालणी।