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मगरूर
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
अ.मगरूर
1.जिसमें गुरूर या अहंकार या गर्व हो, गर्वीला, अभिमानी।
उदा.--
1..अमीरजादौ जवंन
मगरूर
थौ, तिण सोंस खाधी तूं बाग रा मेवा नहीं खावसी, आ कहि नै चलौ गयौ।--नी.प्र.
उदा.--
2..वाग री सैल फिरै छै। अैस रस बिना महा
मगरूर
फैल करे छै।--पनां.
उदा.--
3..इम त्रिहुंवै घड़ अडर, भीच
मगरूर
'अभा' रा। फतै करण ऊफणै, डरै बंब रै वरारा।--सू.प्र.
2.वीर, जोशीला।
उदा.--
फित कुरब लूंण भूपाळ रौ, करि ऊजळ जुध जस करगि।
मगरूर
भेदि सूरज मडळ, सूरजमल पहुंतौ सरगि।--सू.प्र.
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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