HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

मदन  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.मदन:
1.कांमदेव। (अ.मा., ह.नां.मा.)
  • उदा.--बागायत प्रथमी बिचै, निज अलवर सर नांम। नीर हवद छळिया नहर, तर सर सगजतमांम। तर सर सबज तमांम, छ रितु छबि छाविया। मांनहु मदन महीप वितांन वणाविया।--सिवबगस पाल्हावत
यौ.
मदन--कदन।
2.बसन्त।
3.घतूरा।
4.रति क्रीड़ा, संभोग।
5.कामवासना, कामेच्छा।
  • उदा.--मगसर महीना में मेरे मन में उठे तरंग। अरध निसा में आय के मदन करत मोहे तंग।--लो.गी.
6.भौंरा।
7.मैना पक्षी।
8.मौलसिरी।
9.उड़द।
10.ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म से सातवों गृह का नाम।
11.डिंगल के 'वेलियां' सांणोर छंद का भेद विशेष जिसके प्रथम द्वाले में 54 लघु, 5 गुरु से कुल 64 मात्रायें हो तथा अन्य द्वालों में 54 लघु, 4 गुरु से 62 मात्रायैं हों।
12.छप्पय छद का 22 वां भेद जिसमें 49 गुरु 54 लघु से 103 वर्ण या 152 मात्रायें होती है।
13.आर्यगीति या 'खंधांण' (स्ंकधक) का भेद विशेष।
रू.भे.
मइण, मदंन, मदन्न, मयण, मयणि, मयन, मैण।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची