सं.पु.
सं.मदन:
1.कांमदेव। (अ.मा., ह.नां.मा.)
- उदा.--बागायत प्रथमी बिचै, निज अलवर सर नांम। नीर हवद छळिया नहर, तर सर सगजतमांम। तर सर सबज तमांम, छ रितु छबि छाविया। मांनहु मदन महीप वितांन वणाविया।--सिवबगस पाल्हावत
5.कामवासना, कामेच्छा।
- उदा.--मगसर महीना में मेरे मन में उठे तरंग। अरध निसा में आय के मदन करत मोहे तंग।--लो.गी.
10.ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म से सातवों गृह का नाम।
11.डिंगल के 'वेलियां' सांणोर छंद का भेद विशेष जिसके प्रथम द्वाले में 54 लघु, 5 गुरु से कुल 64 मात्रायें हो तथा अन्य द्वालों में 54 लघु, 4 गुरु से 62 मात्रायैं हों।
12.छप्पय छद का 22 वां भेद जिसमें 49 गुरु 54 लघु से 103 वर्ण या 152 मात्रायें होती है।
13.आर्यगीति या 'खंधांण' (स्ंकधक) का भेद विशेष।
रू.भे.
मइण, मदंन, मदन्न, मयण, मयणि, मयन, मैण।