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मनवार, मनवारी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.मान+हरणं
1.भोजन, पान आदि के लिये किया जाने वाला निहोरा, खातरी, आह्वान, निमन्त्रण, (ओफर)।
  • उदा.--1..चतरु सीरांवण री अरज करी मूंडा आगै तासक धरी। कंवर री मनवार्‌यां हुवै है, हांत हौं परसपरर अधर खुवै है।--र.हमीर
  • उदा.--2..कनै न बैठौ कोय मनै करदौ मनवारां। मनवारां रै मांहि, मनैं होसी मनवारां। मिनख न लो मनवार, महा भूंडी मनवारां। मार दिया मनवार, मांन लिखि लिखि मनवारां। मनवारां करौ उण दिन मरद, मिळै घड़ी मनवार री। मनवार बणासी नामरद मोज इसी मनवार री।--ऊ.का.
  • उदा.--3..गाळ लुगायां गावही, नर उचत न गाळ। अमल गाळ मनवार कर, का सुभ बचन उगाळ।--बां.दा.
2.आदर, सत्कार, खातिर--तवज्जा।
  • उदा.--1..रावतजी नुं आवणौ छै तो बेगा कीजै असवारी। भली भांत मनवार करस्यां।--प्रतापसिंह म्होकमसिह री बात
  • उदा.--2..सगळी सरबरा रौ मठ मार दियौ। अबै कांई मनवार करै। काठौ हार थाक्यौ।--फुलवाड़ी
3.किसी व्यक्ति को किसी बात या कार्य के लिये सहमत करने के लिये किया जाने वाला प्रयत्न।
  • उदा.--इस्टूखां फेर धकै केवण लागौ--अबै तौ म्हारै ना दियां पै'ली ई आप ध्यांन कर लियौ व्हैला के औ निजरांणौ तौ म्है किणी विध कबूल नीं करूंला। पछे थोथी मनवारियां में कांई धरियौ।--फुलवाड़ी
4.किसी रूठे हुए क्यक्ति या बालक को मनाने के लिये किया जाने वाला प्रयत्न।
5.खुशामद, चापलूसी।
6.तृप्ति, तुष्टि।
रू.भे.
मणुहार, मनहार, मनहारि, मनुवार, मनुहार, मनुहारि, मनुहारी।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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