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मरु  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.मृ+उ
1.वह भूभाग या प्रदेश जहां पानी न हो, केवल रेत के सूखे मेदान या टीले हों, रेगिस्तान, नरु--भूमि।
2.मारवाड़ व उसके आस पास का भू--भाग।
3.वह पर्वत जो जल रहित हो।
4.सूर्यवंशी राजा शीघ्र का उत्तराधिकारी एक राजा।
  • उदा.--मरु जिण सुतण तपोबळ मंडै। खित गलिका परगट नव खंडै।--सू.प्र.
5.विदेह देश का एक निमिवंशीय राजा, जो हर्यश्व जनक नामक राजा का पुत्र था।
6.एक दैत्य जो नरकासुर का प्रमुख सहायक था।
रू.भे.
मरू।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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