सं.पु.
फा.
1.मदारशह के अनुयायी मुसलमान साधु।
2.मुसलमान सूफियों में मदारी शाखा के वे फकीर जो अविवाहित रहते है।
4.एक प्रकार का बड़ा बगु्रला, जिसकी चोंच पीली होती है।
5.छलांग, झंप।
- उदा.--1..मझि खगां झाट खेल्है मलंग। आफळै अणी पर धार अंग।--सू.प्र.
- उदा.--2..सूरां जमदाढ़ लई उण संग, लई रवि रेवत माड मलंग।--मे.म.
- उदा.--3..तुरंग नूं लोह छकियौ देखि पाळौ ही कन्ह चहूवांण रीस रै माथै तरवारि छोडि नट रै माफिक मलंग भर पल्हण प्रतिहार रै जमदाढ़ जाय जड़ी।--वं.भा.
- उदा.--4..असमांन भ्रमत मानहु अचांन, लखि भुव बटेर तुट्यौ सिवांन। भ्रग हेरि मनहु चीता मलंग, झंप्योक बाज चंप्यौ कुलंग।--ला.रा.
6.छलांग लगाते हुए चलने की क्रिया।
- उदा.--करि साकणि डाकणि संग कई, लंगड़ा मग जंग मलंग लई।--मे.म.
2.मस्त, बेफिक्र, निश्चित।