HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

मस्त  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
सं.मत्त, फा.मस्त
1.मतवाला, उन्मत्त।
2.मदोन्मत्त, नशे में चूर। उ ठाकर इत्ती ताळ नीठ चुप रह्या। वै दारू लेवण में मस्त हा आधी बातां सुणी आधी सुणीई कांनी।--फुलवाड़ी
3.मौज या म ती से परिपूर्ण।
4.किसी बात की परवाह न करने ाला, बेपरवाह, निशिंचत।
5.सदा प्रसन्न रहने वाला, ख श मिजाज।
6.किसी प्रकार की अनुभूति से प्रसन्न
  • उदा.--मकोड़ौ ढोल गळा में टेरनै वहीर हुवा खुसी में मस्त व्हियोड़ौ--फुलवाड़ी 7 जो अपने आप में लीन हो, इधर उधर की न सोचने वाला।
  • उदा.--अर इस्टूखां मन में बड़बावतौ आपरा हाल में मस्त हो।--फुलवाड़ी
8.किसी कार्य या वि य में लीन, संलग्न, रमा हुआ। --गधौ तौ आपरा गाण में पूरौ मस्त हौ के अण त्यौ करक माथै लीडीड़ पड़ियौ।--लवाड़ी
9.किसी पर मोहित, अनुरक्त, रीझीहुआ
10.यौवन से परिपूर्ण।
11.अ मानी, घमंडी।
12.भयंकर।
13.ि ाड़ी, रसिक।
14.पागल।
रू.भे.
मसंत, सत, मस्तज, मस्थ। मह.--मसतांन, मस्तांन।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची