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मा  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.मातृ, मा
1.जन्म देने वाली, माता, जननी, अंबा। (ह.नां.मा.)
  • उदा.--इण अवसर स्रीक्रस्णजी मा ने वंदन काज। आवै प्रणमी चरण युगल, बेठा स्री महाराज।--जयवांणी
2.माता की स्थानापन्न या माता के स्थान पर होने वाली स्त्री, विमाता।
3.वृद्ध या आदर करने योग्य स्त्री, पूजनीय स्त्री।
4.उक्त प्रकार की स्त्री के लिए सम्बोधन। (सं.)
5.लक्ष्मी। (अ.मा.)
6.सीता। (अ.मा.)
7.दुर्गा, देवि, शक्ति।
  • उदा.--1..देवी काळिका मा नमौ भद्रकाळी। देवी दूरगा लाघवं चारिताळी।--देवि.
  • उदा.--2..नवौ जन्म लै कुंड कंडीर न्हावै, महा सुद्ध व्है युद्ध मा नूं नमावै।--मे.म.
8.गौरी, गिरिजा, पार्वती।
9.पृथ्वी।
10.गौ, गाय।
रू.भे.
मां।
11.गति। अव्य.--
1.मत, नहीं, न।
  • उदा.--1..जो तू चाहै मुकत--फळ, धूना मन धीरच्छ। तोख मांन सरवर तठै, माल हुवै मा मच्द।--बां.दा.
  • उदा.--2..आगा चल पीछा फिरै, ताका मुह मा दीठ। दादू देखै दोइ दळ, भागै देकर पीठ।--दादूबांणी
2.अन्दर, भीतर, में।
अल्पा.
मांवड़ली, मावड़ी, मावडी। मह.--मावड़।
पर्याय.--अंबा, अमा, आई, कूखधारण, जणी, जननी, जनयंती, माता, मादर, माय, रछकरण, सवती, सवयती।ै


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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