सं.स्त्री.
सं.मण्डिका
1.एक प्रकार की रोटी विशेष बाटी।
- उदा.--1..परीसण हारि नहीं आकुली, अखंड मांडी सउंतल्यां सेवआं प्रभ्रति पक्वांन्न परीस्यां।--व.स.
- उदा.--2..मूक्यां नव नव परिसालणां, मूंक्यां सरहां घी अतिघणां। मूंकी मांडी मुरकी सेव, मूंकी खीर खांड घ्रत सेव।--हीरांणंद सूरि
2.दूध की मलाई। (उ.र.) सं.पु.--
3.विवाह में वधू पक्ष का व्यक्ति।