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मांडी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.मण्डिका
1.एक प्रकार की रोटी विशेष बाटी।
  • उदा.--1..परीसण हारि नहीं आकुली, अखंड मांडी सउंतल्यां सेवआं प्रभ्रति पक्वांन्न परीस्यां।--व.स.
  • उदा.--2..मूक्यां नव नव परिसालणां, मूंक्यां सरहां घी अतिघणां। मूंकी मांडी मुरकी सेव, मूंकी खीर खांड घ्रत सेव।--हीरांणंद सूरि
2.दूध की मलाई। (उ.र.) सं.पु.--
3.विवाह में वधू पक्ष का व्यक्ति।
रू.भे.
मांडही, मांढी।
4.देखो 'मांड' (रू.भे.)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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