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माझी
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
देखो 'मांझी' (रू.भे.)
उदा.--
1..कम हीमत कुळवाट,
माझी
मरण मलीण मत। कुळ ऊछेर कुवाट, पै'लां घर वांछै पिसण।--बां.दा.
उदा.--
2..एक उण कवळा मोटोड़ा, सूर विनां डार झाड झाड हो गई--तात्पर्य सूर वडौ
माझी
जोधार डार उण रौ कुळ भालां रौ भार दुसमणां रा भालां रौ भार झाड़ 2 घर घर रा होय गया।--वीर सतसई की टीका
उदा.--
3..वयणै वाकारियौ, तांम
माझी
गज केसरी। पवन पूर ऊफणै, जळण जांणै वन अंतरि।--गु.रू.बं.
उदा.--
4..म्रत अछडां करण
माझियां
मारण, कटकां अटक केवियां काळ। भागां तूझ तणौं भणकारौ, 'गोपाळा' न करै गोपाळ'।--बां.दा.
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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