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माढ
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
1.हठ, बहस, हां-नां।
उदा.--
ताहरां हाथी मंगाय नजर कियौ। तांहरा कंवरजी कह्यौ--हाथी रौ मोल फुरमावौ। नायक कह्यौ--कोई लेवां नहीं। यूं घणौ
माढ
हुवौ।--पलक दरियाव री बात
2.देखो 'माड' (रू.भे.)
उदा.--
उतारत नीर खळां अवगाढ़। महाबळ नीर चढावत
माढ
।--सू.प्र.
3.देखो 'मांड' (रू.भे.) (7-8)
उदा.--
स्रलोकां धुणी पाठ दुरगा सुणावै, गुणी
माढ़
रै राग सौभाग गावै।--मे.म.
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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