सं.पु.
सं.
1.द्रव्य, धन। (नां.मा., ह.ना.मा.)
- उदा.--1..तीडां करसण सूपिंयौ, बांनरड़ां नूं बाग। माल किराड़ां सूंपियौ, ज्यां रा फूटा भाग।--बां.दा.
- उदा.--2..जदी चोर कहै। स्री परमेसरजी खावा दीधौ अर माल पण आछौ आयौ।--पंचमार री बात
- उदा.--3..पछै सरव कांम आय चूका अर सरव आग मांहै पड़ियां। तद पातिसाह सइयै वांकलियै नूं साबासी दीवी। अर गढ़ मांहै आयौ तद कह्यौ--अबै माल मतां बतायी, पछै बतायी।--पताई रावळ री वात
- उदा.--4..चारूं वेदां रै जांणकार पिंडतजी री निजर चरू माथै ही। वै मनाग्यांन हिसाब करण लागा के चरू में कित्तौ कांई माल व्है सकै।--फुलवाड़ी
- उदा.--5..जद स्वांमीजी बोल्या--कुबदी चोर हुवै ते चौरी करनैं लाय लगाव जावै। लोक तौ लाय रे धंधे लाग जावै नें आप माल लाय लगाव जावै। लोक तौ लाय रे धंधे लाग जावै नें आप माल लेय नै चालतौ रहै।--भि.द्र.
- मुहावरा--1.माल उडाणौ (उडावणौ)=चोरी करना।
- मुहावरा--2.माल हाथ लागणौ=धनकी प्राप्ति होना।
2.सम्पत्ति, जायदाद।
- उदा.--1..बुद्धि सूं च्यारां ने पकड्या माल राख्यौ। अनै एक साथै च्यारां सूं झगड़तौ तौ कद पूगतौ।--भि.द्र.
- उदा.--2..प्रभुता देखी पुत्र नी, राजा हुवै खुस्याल। पुण्य बिना किम पांमीयै, एलमुलक ए माल।--विनय कुमार कृत कुसुमांजलि
4.क्रय--विक्रय का सामान।
- उदा.--रोळ बिगाड़ै राज नूं, मोल बिगाड़ै माल। सने--सने सिरदार री, चुगल बिगाड़ै चाल।--बां.दा.
5.स्वादिष्ट या उत्तम भोजन, पकवान।
- उदा.--1..खुसी खुसी में ही लुंटा दी लाल, मजा--मजा में ही घुटा दियौमाल।--दस दोख
- मुहावरा--माल उडावणौ, माल घुटावणौ=इछित भोजन करना, मस्ती छानना।
6.किसी वस्तु का सार--तत्त्व।
10.विष्णु का एक नामान्तर।
12.दक्षिणि--पश्चिमि बंगाल के एक जिले का नाम।
14.एक प्राचीन अनार्य जाति।
15.सामर्थ्य, हस्ती।
- उदा.--बाबर नूं जीत्यौ नहीं, 'सांगौ' साहां साल। उणरे घर रा ऊमरा, मौ आगे की माल।--बां.दा.
16.शकुन चिड़ी जो दाहिनी ओर बैठ कर शुभ शकुन देती है।
- उदा.--लंधिया चांबिल पाछिला खाल। डावी देवी अनइ दाहिणी माल।--बीसलदेवरास
17.गणित में वर्ग का पात, वर्ग अंक।
18.देखो 'मल्ल' (मह., रू.भे.)
- उदा.--गोविदइ स व माल सर खउ चांणूर ते चुरीउ। बीजइं बंधवि माल मोस्ि क, हणिउ तउ कंस कोपिइं चडिउ।--धनदेव गणि
- उदा.--2..मालाखाडइ झूझइ माल, लोक तणइ मनि अतिहि साल। रवाडी न स्रीवंत करइ, खेल वाडी न गुडी आ धरइ।--नळदवदंती रास