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मित्र  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.मित्र:
1.सूर्य, भानु (अ.मा., डि.को., नां.डिं.को., नां.मा.)
2.बारह आदित्यों में से एक। वि.वि.--भविष्य के अनुसार, मार्गशीर्ष माह में प्रकाशित होने वाले सूर्य को मित्र कहा जाता है। किन्तु ळागवत के अनुसार ज्येष्ठ माह में उदय होने वाले सूर्य को मित्र कहा जाता है।
3.एक वैदिक देवता।
4.वार आर नक्षत्र सम्बन्धी बनने वाले 28 योगों में 12 वां योग।
5.पुराणों के अनुसार मरुदगण में से पहले मरुत का नाम।
6.ऊर्ज्जा के गर्भ से उत्पन्न वशिष्ठ के एक पुत्र का नाम। (सं.मित्रम्‌)
7.सदैव हित चाहने वाला, सुख दुख में काम आने वाला व्यक्ति। सुहृद, हितैषी, शुभेच्छु।
8.प्रेमी प्रियतम
9.सखा, दोस्त, यार।
  • उदा.--1..भ्रात मित्र जुग जुग भला, नीत प्रसिद्ध निराट। जुगळ भुजा कर जांणिया, ऋपणां जुगळ कपाट।--बां.दा.
10.श्वेत, सफेद, * (डिं.को.)
रू.भे.
मिंत, मिंतर, मिंत्र, मिंत्री, मित, मित्त, मित्री, मित्रु, मित्रू, मीत, मींत्र।
अल्पा.
मंतरोळियौ, मंत्रोळियौ, मिंतरोळियौ, मितड़, मितरोळियौ। मीतौ, मह.--मिंतरौळ।
पर्याय.--नेहवाळ नेही, प्रांण, प्रांणइस्ट, प्रींतम, प्रेमीगुण, मन--मेळग, मनहितू, यस्ट, वलभ, वलभतन, संगतवळ, संध्रीच, सखा, सज्जान, सनिगध, सवय, सहकारी, सहक्रतबास, सहचर, सहायक, सुखदा, सुबैण, सुहृद, सैण, सोहारद, हारद, हेतूं।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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