सं.पु.
1.चतुर--शिल्पकार, कारीगर।
2.यन्त्रों की मरम्मत करने वाला व्यक्ति।
रू.भे.
मिसतरी, मिस्र--सं.पु.(अ.)
1.अफ्रीका के उत्तर--पूर्व में स्थित एक प्रसिद्ध देश जो आज कल अरब गण राज्य के अन्तर्गत है। (सं.मिश्र)
2.ब्रह्मणों के एक वर्ग की उपाधि।
3.साहित्य में इतिवृत्त के मूल विचार से नाटकों की कथावस्तु के तीन भेदों में से एक।
4.व्याकरण में तीन प्रकार के वाक्यों मे से एक, जिसमें मुख्य उपवाक्य तो एक ही होता है, परन्तु आश्रित उपवाक्य एक से अधिक होते है।
5.ज्योतिष में सात प्रकार के गणो में से सातवां या अंतिम गण जो कृत्तिका और विशाखा नक्षत्र के योग में होता है।
7.सिंहों की एक जाति। (अ.मा.)
12.सचित्त व अचित्त पदार्थो का योग। (जैन)
- उदा.--जद स्वांमीजी कह्यौ--मूलां में तो पुण्य पाप दोनूं है। पिण मूला अणुकंपा आंण नें खुवांया केइ मिस्र कहै। जद कह्यौ: मिस्र कहै सौ पापी।--भि.द्र.
वि.
1.जो कईयों के योग से बना हुआ हो, कईयों को मिलाकर एक किया हुआ, मिला हुआ, संयुक्त।
2.अनेक तत्वों, योगों, अंगों आदि के योग से नए व स्वतन्त्र रूप में आया हुआ।