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मीना  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
1.उषा की कन्या व कश्यप की पत्नी। (फा.)
2.सोने चांदी पर किया जाने वाला रंग--विरंगा काम जो चमकीला एवं ठोस होता है।
3.रंग--विरंगा शीशा।
4.नीले रंग का एक बहुमूल्य रत्न।
5.शराब का पात्र, सुराहो।
6.शराब की बोतल।
7.गिनती, सेख्या?
  • उदा.--एकि घायल ही भीना, राति--दिवसि न मीना। रुधिर--का प्रवाह नदी माहिं मिल्या। आवारत अनिबंध होवण लागउ।--अ.वचनिका
8.देखो 'मीन' (रू.भे.)
  • उदा.--जगत नगीना हो लाल, आयौ हुं तुझ सरणइ। जिम जल
रू.भे.
मीणा, मीनाकार--सं.पु.(फा.) सोने चांदी पर रंगर्--बिरगा काम करने वाला कारीगर।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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