सं.पु.
सं.
1.प्राचीन समय में प्राय: राजाओं के शिर पर घारण किया जने वाला तथा वर्तमान देवी--देवताओं की मूतियों पर बांधा जाने वाला एक शिरौ--भूषण, ताज, किरीट।
- उदा.--2..राजा सयमेव आस्थांन सभा बइसइ, ऊपरि मेघाडंबर छत्र, मस्तकि मुकुट, कांनि कुंडल, हृदय मौती तणउ हार।--व.स.
- उदा.--2..मूंछ नाम सिर रौ मुकुट, ससमर सांम सनाह। साबत लायौ समर सूं, कै नंह लायौ नाह।--बां.दा.
4.एक क्षत्रिय वंश। (प्राचीन) वि.--सर्वोत्तम, श्रेष्ठ।
रू.भे.
मकुट, मुकट, मुकटि, मुकुटि, मुकुटी, मुकुट्ट, मुगट, मुगट्ट,
अल्पा.
मुकटौ, मुगटियौ, मुगटौ, मुकुटबंध, मुकुटगद्ध--सं.पु.--
1.सर्व श्रेष्ठ राजा, राजाओं में श्रेष्ठ।
- उदा.--वीर सेन प्रमुख एक वीस सहस्त्र वीर, उग्रसेन प्रमुख सोल सहस मुकुटबद्ध राजा, महसेन प्रमुख छपन्न सहस बलवंत।--व.स.
रू.भे.
मुकटबंध, मुगटबंध,
मुकुटमण, मुकुटमणि--वि.--सर्वश्रेष्ठ, उत्तम।
- उदा.--रांम बरण जुग रूप अै, सह बरणां सिरताज। रहैं मुकुट मण राज, आखर अवरां ऊपरै।--र.रू.
मुकटमणि, मुकटमिण, मुगटमण,
मुकुटसप्तमी--सं.स्त्री.--जैनियों का व्रत विशेष।
- उदा.--जिन शासन प्रभावना, सतुरथ सस्ट अस्टम दसम अरद्ध मास क्षपणा, ग्यांनपंचमी, मुकुटसप्तमी, मांणिक्य प्रस्तारिका, निक्रमणतप, वरद्धमांनतप, इंद्रियजय।--व.स.
सं.स्त्री.
मुकुट में लगने वाली मणि।