सं.स्त्री.
सं.
1.किसी कार्य या लेन--देन के प्रति निर्धारित की गई अवधि, मयाद।
- उदा.--कही मैं वायदौ कियौ थौ सो किण भांति जावै थौ। जे मुद्दतां नही आवतौ तो ही हुं बैठौ रहितौ, सूं ऊठतौ ही नही।--नी.प्र.
3.बहुत, लम्बा समय, दीर्धकाल।
5.देखो 'मदद' (रू.भे.)
- उदा.--कहै साह जिंहगीर, खुरम सुरतांण (सुणे रहंत)। तम सूर हम खुदाई, पीर पक्कंबर मुद्दत।--गु.रू.बं.