सं.स्त्री.
सं.
1.किसी के नाम की नाम या किसी निर्धारित चिन्ह की छाप, मोहर, (सील)
- उदा.--छोडिउ पंडु कुमारी पासि तसु मुद्रा लाधी।--सालिभद्र सूरि
2.अंगूठी मुद्रिका, छल्ला।
3.ऐसी अंगूठी जिस पर किसी का नाम अंकित हो।
4.प्राचीन समय में मुद्रा या चिन्ह से अंकित अधिकार पत्र जो यात्रा का परवाना माना जाता था।
5.सरकार द्वारा प्रचलित धातु के सिक्के जो वस्तुओं के क्रय विक्रय में काम आते है, मुहर रुपया, पैसा आदि।
- उदा.--पंच लाख 500000 मुद्रा, पटा लै जयसिंध दलेल।--वं.भा.
6.अर्थ शास्त्र में--किसी सरकारी बैंक द्वारा अधिकृत किया हुआ कागज का नोट, चैक, ड्राफ्ट आदि कागजी मुद्रा जो लेन--देन एवं भुगतान में निविरोध काम आते है।
9.चपरास पर लगाने का बिल्ला।
10.आधुनिक प्रेंसों में छपाई के लिये बने हुऐ धातु के अक्षर।
11.योगियों के कान में पहनने का अभूषण (नाथ एवं सिद्ध)
- उदा.--1..तरै चेले 1 कह्यौ--हाथां रा पाळिया कांय वाढ़ौ? कांनै मुद्रा छै, आंबा रौ वरण फेरौ। तरै आ वात गरीबनाथ रै दाय आई।--नैणसी
- उदा.--2..मुद्रा माळा भेख लूं रे, खप्पड़ लेऊं हाय। जोगिन होय जग ढूढसूं रे, रावळिया के साथ।--मीरां
12.भक्त जनों के शरीर पर अंकित विष्णु के आयुघों के चिन्ह।
- उदा.--1..नभ कंठ पवित्र करिसय हूं नरहर, धारै मुद्रा तूझ संखधर। उदर पवित्र करिस अपरंपर, चरणाभ्रत तो घरै चक्रधर।--ह.र.
- उदा.--2..गावै मुख हरजस गोपाळ, मुद्रा छाप तिलक गळ माळ। मांगै भीक फिरै दळ मांह, राति पड़ै नै लागै राह।--रा.रू.
13.मुखाकृति जो हृदयगत भावों के अनुसार बदलती रहती है।
14.हाथ, पांव, आंख, मुंह, गर्दन, आदि की कोई स्थिति।
15.देव पूजन में हाथ और अंगुलियों को विशेष प्रकार से समेटने मोड़ने आदि का ढंग।
16.हठ योग में साधना के लिये शरीर को विशेष प्रकार समेट कर बैठने का ढंग, अंग विन्यास।
17.तान्त्रिकों की एक साधना।
18.तान्त्रिक गुह्य साधनाओं में वह रमणी जो तान्त्रिक अनुष्ठानों में सहसाधिक रहती है।
20.साहित्य में वह अलंकार जिसमें प्रस्तुत अर्थ प्रतिपादन शब्दों से किसी अन्य अर्थ का भी बोध होता हो।