सं.स्त्री.
सं.
1.वह तानसिक शक्ति जिसके
- उदा.--1..बालकांड दाख्यौ विमल मेधा मुझ परमांण। अवधकांड वरणूं अबै, सुणजै चिरत सुजांण।----र.रू.द्वारा सौचने विचारने व औचित्य समझने का कार्य होता है। बुद्धि, प्रज्ञा, मति।
- उदा.--देवी मालणी जोगणी मत्त मेधा। देवी वेधणी सूर असुरां उवेधा।--देवि.
2.बुद्धि, प्रज्ञा, मति। (अ.मा., नां.मा., ह.नां.मा.)
- उदा.--1..बालकांड दाख्यौ विमल मेधा मुझ परमांण। अवधकांड वरणूं अबै, सुणजै चिरत सुजांण।--र.रू.
- उदा.--2..मेधा महंत दीपत दिगंत, आदांन ओध अक्षय अमोध।--ऊ.का.
3.स्मरण शक्ति, याददाश्त।
- उदा.--वड जगद विसतारै, निधि मेधा तुभ्यौनम।--रांमरासौ
5.सरस्वती का एक रूप विशेष।
6.सोलह मातृकाओं में से एक।
7.दक्ष प्रजापति की एक कन्या।
8.सीमा, हद।
- उदा.--कांम तौ वडौ नहीं, पण भोळी जनता माथै रोब मेधा वायरौ खाटै।--दसदोख