सर्व.
सर्वनाम उत्तम पुरुष का कर्त्ता--रूप, स्वंय खुद।
- उदा.--1..नभै सोती जागी लगन धुन लागी जक नहीं। स्वयंभू ध्याऊं मैं परमपद पाऊं सक नहीं।--ऊ.का.
- उदा.--2..मेहाई--महिमा मुणी, मैं मूरख मति मंद। जिण अंदर सूकौ जिकौ, कीजै माफ कविद।--मे.म.
1.बकरी के बोलने का शब्द। सं.स्त्री.--
रू.भे.
मंइ, मंह, मय, में, मेंइ,
3.देखो 'में' (रू.भे.)
- उदा.--ज्यांरी रिच्छया देवता, सेवा पीर प्रधांन। त्यां अणचीती सपजै, मुसकळ मैं आसांन।--रा.रू.