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मैथुन
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.किसी स्त्री के साथ पुरुष का होने वाला समागम, संभोग, रति--क्रीड़ा।
उदा.--
इम हिंसा झूठ चोरी
मैथुन
परिग्रह सेव्यां सेवायां अव्रत सींची तौ उण रै लैखै व्रत पिण वधती कहिणी।--भि.द्र.
2.काम--वासना की दृष्टिसे, किसी स्त्री के साथ किया जाने वाला व्यवहार।
उदा.--
1..हाथ ता 4 प्रकारै, धूजै--एक तो कंपणवाय सूं। के क्रोध रै बस हाथ धूजै। अथवा चरचा में हार्यां हाथ धूजै। के
मैथुन
रै वसीभूत।--भि.द्र.
रू.भे.
मईथुन, मेहुण।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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