सं.स्त्री.
सं.मौक्ष
1.किसी प्रकार के बंधन से मुक्ति, छुटकारा, आजदी, स्वतन्त्रता।
- उदा.--बंध नइ मोक्ष ना बउें कारण अछई। दुक्रत नइ सुक्रत जो अउ विचारी।--विनय कुमार कृत कुसुमांजलि
2.आध्यात्मिक क्षेत्र में किसी जीव का, जन्म--मरण के आवागमन से छुटकारा, मुक्ति, निर्वाण, कल्याण।
- उदा.--1..बंक तेज कारण बणैं, निहचळ तप निरदोस। ग्यांन मोक्ष कारण गिणै, सुख कारण संतोस।--बां.दा.
- उदा.--2..कढै हंस 'बाळेस' नूं मोक्ष कीधौ। दई राजके कंध सुग्रीव दीधौ।--सू.प्र.
- उदा.--3..जुग--जुग भीर हरी भक्तन की, दीनी मोक्ष समाज। मीरां सरण गही चरनन की, पैज रखौ महाराज।--मीरां
- उदा.--4..जोर सूं बोल्यौ--जैड़ी थांरी इंछा मां! म्है थारै लारै जिग करूंला। देस रा सगळा बांमणां नै जीमाऊंला। थारौ मोक्स व्है मां। बेटा रौ डंडोत कबूल कर मां, औ छैलौ डंडौत है।--फुलवाड़ी
3.स्वर्ग वैकुण्ड।
- उदा.--1..जद स्वांमीजी कह्यौ: मोक्ष देवलोक रौ जांणहार तो तूं ठहर्यौ। थारे लेखे नरक जावण हार थांरा गुरु ठहर्या।--भि.द्र.
- उदा.--2..जद स्वांमीजी कह्यौ: तौ यूं न कहां--मूंहड़ौ दीठा स्वरग नरक जाय पिण थांरी कहिणी रै लेखै थांरौ मूंहड़ौ तौ म्हैं दीठौ सो मोक्ष सो मोक्ष ने देवलोक तो म्है जास्यां। अनै म्हांरौ मूंहड़ौ थें दीठौ सो थांरी कहिणी रै लेखै थांरे पांने नरक ईज पडी।--भि.द्र.
5.शास्त्रानुसार, कल्याण के चार पदार्थों (अर्थ, धर्म, कोम व मोक्ष) में से एक।(नां.मा.)
6.उऋण होने की क्रिया या भाव।
10.ग्रहण (सूर्य व चन्द्रमा) के छूटने की क्रिया।
रू.भे.
मोकस, मोक्ख, मोख, मोखि, मौख।