सं.स्त्री.
1.बड़प्पन, बड़ाई।
- उदा.--1..बोलां में ओछा विदर, मोला में नह मोट। पोळां में 'परताप' रै, गोलां वाळौ गोट।--ऊ.का.
- उदा.--2..नान्हौ कह्यां न नांनडौ, मोटौ कह्यां न मोट। हरिया हरि जांणै जिसौ, वाकी गहीयै ओट।--स्त्री हरिरांमदासजी महाराज
2.गर्व घमंड, अभिमान।
- उदा.--रैत रिछपाळ और दीनन दयाल देख्यौ। मोट महिपाळपन मन में मान्यौ नहीं।--ऊ.का.
3.राठोड़ों की एक उपशाखा। (बां.दा.ख्यात)
4.कूए से पानी निकालने का चड़स।
5.देखो 'मोटौ' (मह., रू.भे.)
- उदा.--तीन लोक ता वीच मैं, अकल काळ की चोट। जनहरीया जोय मरिसी, छोटा गिनै न मोट।--स्त्री.हरिरांमदासजी महाराज