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मोठ  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.मकुष्ठ, प्रा.माउठ
1.मूंग की जाति का एक द्विदल अन्न।
  • उदा.--1..जाट बांणिया रजपूत बांभण बसै। धरती हळवा 200। बाजरी मोठ हुवै। खेत कंवळा।--नैणसी
  • उदा.--2..पळकती घबळ दूधिया बत्तीसी, जांणै ममोलियां रै बिचाळै मोती परळाट करै। थोड़ी रै मांय मोठ मावै जित्तौ ऊंडौ खाडौ।--फुलवाड़ी
2.उक्त अनाज का पौधा।
  • उदा.--1..म्हैं अर थारा महारांणीजी खेत री माठ माथै सूवर अर भाचरियां नै मोठ चरावता हा।--फुलवाड़ी
  • उदा.--2..देखतां देखता खेत तौ मोठां री हरियाळी सूं लीलांणौ।--फुलवाड़ी
3.देखो 'मोट' (रू.भे.)
  • उदा.--अणचींती आ अकाळ मौज सुणी तौ वौ दाग में ठेट मसांण लग हालियौ। उणरै बडापणा री मोठ मरजाद न ड़ी ई नीं ही।----फुलवाड़ी.भे. मउठ, मांठ, मोठउ, मौठ।
अल्पा.
मोठिय


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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