सं.पु.
सं.मौक्तिक प्रा.मोत्तिअ
1.छिछले समुद्र या रेतीले तटों के सीपों से निकलने वाला एक प्रसिद्ध बहुमूल्य रत्न। (अ.मा., नां.मा., ह.नां.मा.)
- उदा.--1..मणियां रयण अमोल, रोप अणियां मोती रुख। सोहत धणियां सीप, मिळै असिवर फणियां मुख।--वं.भा.
- उदा.--2..नीर निरासा सीप मुख, निजकण मोती होय। पेम उदै भई आतमा, हरिया हरि सुख होय।--स्त्री हरिरांमदासजी महाराज
2.एक प्रकार का आभूषण। (अ.मा.)
3.घोड़े का रंग विशेष या इस रंग का घोड़ा।
- उदा.--मोती सुरंग कमेत, लखी अबलख फुलवारी। रंग जड़ाव हम रंग, हरी सुनहरी हजारी।--सू.प्र.
4.रहस्य सम्प्रदाय के अनुसार मन।
6.जागीरदारों अथवा अमीरों के लड़कों को सम्मान पूर्वक सम्बोंधन करने का एक शब्द।
रू.भे.
मुगति, मुगती, मुगतीक, मुत्ति, मुत्ती, मौती।
अल्पा.
मोतिड़ौ, मोतियौ, मोतीड़ौ, मोतांयडौ।
पर्याय.--आथिकुंभ, उदकज, गुलका, जळज, दधिज, धीरठभख, प्रखत, मुक्तज, मुक्ता मुक्ताफळ, रखत, रेस, रसउद्भव, ससगोत, सारंग, सीसपुत, सुक्त, सुक्तज, स्वात, हंस--भख।